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2019 में इन सितारों ने दुनिया को कहा अलविदा, ख्य्याम से लेकर फिल्मकार जे. ओम प्रकाश तक लिस्ट में...

नई दिल्ली । बॉलीवुड में वर्ष 2019 कई मायनों में कई उपलब्धियों भरा वर्ष साबित हुआ लेकिन खय्याम ,गिरीश कर्नांड, विद्या सिन्हा, समेत कई अजीम शख्सियतों के चले जाने से ऐसा स्थान रिक्त हो गया है जो शायद हीं कभी पूरी हो सके। अपनी अपनी मधुर धुनो से लगभग पांच दशको से अपना दीवाना बनाने वाले संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी उर्फ ख्य्याम का 19 अगस्त को निधन हो गया। खय्याम का जन्म पंजाब में नवांशहर जिले के राहोन गांव में 18 फरवरी 1927 को हुआ था। बचपन के दिनों से हीं ख्य्याम का रूझान गीत-संगीत की ओर था और वह फिल्मों में काम कर शोहरत की बुलदियो तक पहुंचना चाहते थे। ख्य्याम की उम्र जब महज 10 वर्ष की थी तब वह बतौर अभिनेता बनने का सपना संजाये अपने घर से भागकर अपने चाचा के घर दिल्ली आ गये। ख्य्याम ने संगीत की अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंडित अमरनाथ और पंडित हुस्नलाल-भगतराम से हासिल की। इस बीच उनकी मुलातात पाकिस्तान के मशहूर संगीतकार जी.एस.चिश्ती से हुयी। जी.एस चिश्ती ने ख्य्याम को अपनी रचित एक धुन सुनाई और ख्य्याम से उस धुन के मुखड़े को गाने को कहा। ख्य्याम की लयबद्ध आवाज को सुन जी.एस.चिश्ती ने ख्य्याम को अपने सहायक के तौर पर अनुबंधित कर लिया ।

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वर्ष 1948 में उन्हें बतौर अभिनेता एस. डी.नारंग की फिल्म ‘ये है जिंदगी’ में काम करने का मौका मिला। वर्ष 1950 में ख्य्याम को फिल्म ‘बीबी’ को संगीतबद्ध किया। मोहम्मद रफी की आवाज में संगीतबद्ध उनका यह गीत ..अकेले में वो घबराये तो होंगे ..ख्य्याम के सिने करियर का पहला हिट गीत साबित हुआ। वर्ष 1961 में प्रदर्शित फिल्म ..शोला और शबनम में मोहम्मद रफी की आवाज में गीतकार कैफी आजमी रचित ..जीत हीं लेगें बाजी हम तुम ..और जाने क्या ढ़ूंढती रहती है ये आंखे मुझमें ..को संगीतबद्ध कर ख्य्याम ने अपनी संगीत प्रतिभा का लोहा मनवा लिया और अपना नाम फिल्म इंडस्ट्री के महानतम संगीतकारो में दर्ज करा दिया। खय्याम को फिल्म कभी कभी और उमराव जान के लिये सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक, नाटककार, अभिनेता एवं फिल्म निर्देशक गिरीश कर्नाड ने 10 जून को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। कर्नाड एक समकालीन लेखक थे जिन्होंने कन्नड़ भाषा और भारतीय रंगमंच के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। गिरीश कर्नाड का जन्म 1938 में महाराष्ट्र के माठेरण में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा कर्नाटक के उत्तराकन्नड़ा और धारवाड़ जिले में प्राप्त की। उन्होंने अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर भी काम किया।उनके प्रसिद्ध नाटकों में ययाति, तुगलक, हयवदन, अंजु मल्लिगे, अग्निमतु माले, और नागमंडल आदि शामिल हैं। उनके ‘तुगलक’ नाटक का अंग्रेजी समेत विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया। टीवी धारावाहिक 'मालगुडी डेज' में अभिनय से गिरीश कर्नाड चर्चा में आए थे।

गिरीश कर्नाड ने कई फिल्मों और धारावाहिकों में अभिनय किया था। सलमान खान की फिल्म 'टाइगर जिंदा में' गिरीश कर्नाड रॉ अधिकारी की भूमिका में नजर आए थे। पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित गिरीश कर्नाड ने कई बड़ी फिल्मों में काम किया था। साहित्य, रंगमंच और सिनेमा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया था। लेखन के लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार सम्मानित किया गया था। अपने रूमानी अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाली विद्या सिन्हा ने 15 अगस्त को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 15 नवंबर 1947 को मुंबई में जन्मी विद्या सिन्हा के पिता राणा प्रताप सिंह फिल्म निर्माता थे। वर्ष 1968 में विद्या सिन्हा ने ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग लिया और मिस मुंबई चुनी गईं। इसके बाद विद्या सिन्हा ने ‘कॉलगेट’, और ‘लिप्टन टी’ जैसे कई विज्ञापन फिल्मों में काम किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात निर्देशक बासु चटर्जी से हुई जिन्होंने उन्हें फिल्म ‘रजनीगंधा’ में काम करने का अवसर दिया।वर्ष 1974 में प्रदर्शित फिल्म रजनीगंधा में विद्या सिल्हा के अपोजिट अमोल पालेकर थे। फिल्म रजनीगंधा के बाद विद्या सिन्हा ने छोटी सी बात, इंकार, मुक्ति, पति पत्नी औऱ वो, इंकार और स्वयंवर जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया।

विद्या सिन्हा ने अपने करियर के दौरान लगभग 30 फिल्मों में काम किया। विद्या सिन्हा फ़िल्मों में आने से पहले ही साल 1968 में शादी कर चुकी थीं। उन्हें अपने एक पड़ोसी वेंकटेश्वरन अय्यर से प्यार हुआ और फिर शादी भी हो गई। दोनों की कोई संतान नहीं थी तो इस जोड़ी ने साल 1989 में एक बच्ची को गोद ले लिया। साल 1996 में विद्या के पति का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।वर्ष 2001 में विद्या ने ऑस्ट्रेलिया के एक भारतीय मूल के डॉक्टर भीमराव सालुंके से दूसरी शादी की लेकिन, इस शादी ने उन्हें बहुत जख्म दिए। पति की प्रताड़ना से तंग आकर उन्होंने तलाक ले लिया। वर्ष 2011 में विद्या आस्ट्रेलिया से भारत लौटीं। बेटी के कहने पर विद्या ने दोबारा से एक्टिंग शुरू की। विद्या सिन्हा ने फिल्म ‘बॉडीगार्ड’ से कमबैक किया। विद्या सिन्हा ‘काव्यांजलि’ ‘कबूल है’ और ‘कुल्फी कुमार बाजेवाला’ जैसे पॉपुलर टीवी सीरियलों में भी दिखाई दीं।

बॉलीवुड के जाने माने फिल्मकार राज कुमार बड़जात्या ने 21 फरवरी को इस दुनिया से विदाई ले ली। उन्होंने मैंने प्यार किया ,हम आपको हैं कौन, हम साथ साथ हैं, प्रेम रतन धन पायो और विवाह जैसी कई कामयाब फिल्मों का निर्माण किया। राजकुमार बड़जात्या, सूरज बड़जात्या के पिता थे। राजकुमार बड़जात्या ने राजश्री प्रोडक्शंस के बैनर तले लगभग 20 फ़िल्मों को प्रोड्यूस किया। अजय देवगन के पिता, वीरू अजय देवगन का 27 मई को निधन हो गया। वीरू मशहूर स्टंट और एक्शन कोरियोग्राफर और डायरेक्टर थे। उन्होंने करीब 80 से अधिक फिल्मों में एक्शन कोरियोग्राफ करने का काम किया था। इनकी मशहूर फिल्मों में हिम्मतवाला, क्रांति ,शहंशाह, दिलवाले और फूल और कांटे शामिल हैं। 'फूल और कांटे' फ़िल्म में दो बाइक पर सवार होने वाला एक्शन सीन काफ़ी लोकप्रिय भी हुआ था। इसके अलावा उन्होंने ‘हिंदुस्तान की कसम’ नामक फिल्म का निर्देशन भी किया था।

वीरू देवगन ने अपने बेटे अजय देवगन को हीरो बनाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत की है। उन्हें कम उम्र से ही फिल्ममेकिंग, और एक्शन से जोड़ा। ये सब अजय के हाथों ही करवाते थे। अमृतसर में जन्में वीरू देवगन 14 साल की उम्र में घर छोड़कर मुंबई में क़िस्मत आज़माने चले आए थे. वो ख़ुद हीरो बनना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने काफ़ी संघर्ष किया और मुंबई में रहने के लिए अलग-अलग काम भी किये।वीरू देवगन ने सौरभ, क्रांति और सिंघासन जैसी फ़िल्मों में अभिनय भी किया था।

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता विजु खोटे का 30 सितम्बर को निधन हो गया था उन्होंने मराठी फिल्मो के साथ -साथ अन्य भाषाओ में भी उल्लेखनीय काम किया था विजु खोटे को फिल्म शोले में 'कालिया' के बेहद लोकप्रिय किरदार के लिए जाना जाता है उन्होंने अपने डायलॉग, 'सरदार मैने तुम्हारा नमक खाया है' ने दर्शकों का बखूबी दिल जीता था। विजू खोटे ने अपने सिने कॅरियर में 450 से अधिक फिल्मों और टीवी शो में भी काम किया। हिंदी सिनेमा के जाने-माने अभिनेता डा.श्रीराम लागू 17 दिसंबर को इस दुनिया केा अलविदा कह गये। श्रीराम लागू ने थियेटर की दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मराठी थिएटर में तो उन्हें 20वीं सदी के सबसे बेहतरीन कलाकारों में शामिल थे। श्रीराम हिंदी, मराठी, गुजराती रंगमंच से जुड़े हुए थे। उन्होंने 250 से ज्यादा हिंदी और मराठी फिल्म और हिंदी-मराठी-गुजराती नाटक में काम किया। अपने दमदार अभिनय के दम पर उन्होंने सिने पर्दे पर भी खूब तारीफें बटोरी।

बॉलीवुड के जाने माने खलनायक महेश आनंद का 09 फरवरी को निधन हो गया। महेश ने 90 के दशक में कई फिल्मोंमें विलेन के किरदार में दिखाई दिए। उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ 'शहंशाह' , संजय दत्त के साथ 'कुरुक्षेत्र', 'गोविंदा' के साथ 'खुद्दार', राजकुमार- शत्रुघ्न सिन्हा के साथ 'बेताज बादशाह' और सनी देओल के साथ 'विश्वात्मा' जैसी कई फिल्मों में काम किया था। हॉरर फिल्मों के शंहशाह माने जाने वाले फिल्मकार श्याम रामसे का 18 सितंबर को निधन हो गया। श्याम रामसे का जन्‍म 17 मई 1952 को हुआ था। रामसे ब्रदर्स ने बॉलीवुड में हॉरर फिल्‍मों के चलन को शुरू किया और इसे मशहूर भी किया था। उन्‍होंने 30 से ज्‍यादा बॉलीवुड फिल्‍मों का निर्माण किया।

1970 से 1980 के बीच रामसे ब्रदर्स ने कई हॉरर फिल्‍में बनाईं, जिन्‍हें दर्शकों ने खूब पसंद किया। सात साल तक धुआंधार चलने वाली टीवी सीरीज जी हॉरर शो के लिए मशहूर हुए श्‍याम रामसे और तुलसी कुमार ने मिलकर इसे बनाया था। श्याम, रामसे ब्रदर्स के नाम से मशहूर सात रामसे भाइयों में से एक थे, जो अपने पिता फतेहचंद रामसिंघानी के साथ विभाजन के वक्त कराची से मुंबई आए थे। श्याम के बड़े भाई तुलसी रामसे ने 'वीराना' बनाई थी, पिछले कुछ समय से वह उसके सीक्वल को बनाने की तैयारी कर रहे थे, जिसे लेकर वह काफी उत्साहित भी थे। इससे पहले श्याम ने 1972 में बॉलीवुड की पहली हॉरर फिल्म 'दो गज जमीन के नीचे' बनाई थी। रामसे बद्रर्स की चर्चित फिल्मों में पुरानी हवेली ,वीराना, तहखाना,सबूत,होटल ,पुराना मंदिर,धुंध और घुटन प्रमुख हैं। रामसे ब्रदर्स की अंतिम फिल्‍म 'कोई है' 2007 में प्रदर्शित हुयी थी।

बॉलीवुड फिल्मकार चंपक जैन का 31 अक्टूबर को निधन हो गया। चंपक जैन मशहूर म्यूज़िक कंपनी वीनस टेप्स और रिकॉर्ड्स के मालिक थे। चंपक जैन ने अक्षय कुमार स्टारर मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी जैसी फिल्में प्रोड्यूस की हैं। चंपक जैन, रतन जैन, गिरीश जैन के भाई हैं। सभी भाईयों ने मिलकर वीनस कंपनी की शुरूआत की थी। बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आज़मी की मां और उर्दू के मशहूर शायर कैफी आज़मी की पत्नी शौकत आज़मी का 22 नवंबर को निधन हो गया।शौकत आज़मी एक जानी मानी अभिनेत्री थीं। उन्होंने उमराव जान, बाज़ार, ,हीर-रांझा और ‘सलाम’ बॉम्बे जैसे कई फिल्मों में अपने अभिनय का जादू दिखाया। शौकत आज़मी अंतिम बार फिल्म 'साथियां' (2002) में नजर आईं थी. जिसमें उन्होंने बुआ का रोल निभाया था। हैदराबाद में जन्मी शौकत आज़मी मुंबई में अपने परिवार के साथ रहती थी। उन्होंने अपने पति कैफी आज़मी के जीवन पर एक किताब लिखी थी. जिसका नाम 'कैफी और मैं' है।।कैफी आज़मी और शौकत आज़मी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे। दोनों पति-पत्नी लम्बें समय तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की विंग इप्टा से जुड़े रहें।

प्रसिद्ध फिल्मकार जे. ओम प्रकाश का 07 अगस्त को निधन हो गया।जे.ओमप्रकाश की बेटी पिंकी की शादी राकेश रोशन से हुई थी और ऋतिक रोशन उनके नाती हैं। उन्होंने आस का पंछी ,आई मिलन की बेला ,आये दिन बहार के ,आया सावन झूम के ,आप की कसम' आंधी ,अर्पण ,आशा और आखिर क्यों , जैसी कई पारिवारिक सफल फिल्मों का निर्माण किया। अभिनेता, डांसर और डांसर टीचर वीरू कृष्णन का निघन 07 सितंबर को हो गया। वह आमिर खान और करिश्मा कपूर स्टारर फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ में अपनी भूमिका के लिए जाने जाते हैं। वीरू ने प्रियंका चोपड़ा, कैटरीना कैफ और अथिया शेट्टी सहित कई अभिनेत्रियों को डांस की ट्रेनिंग दी थी।

 

 



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