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बॉलीवुड एक्टर विक्रांत मैस्सी की एक और फिल्म '14 फेरे' रिलीज, यहाँ देखें रिव्यू

मुंबई। बॉलीवुड एक्टर विक्रांत मैस्सी एक के बाद एक फिल्मों के जरिए अपनी पर्फोर्मेंस को बेहतरीन तरीके से पेश कर रहें हैं। ऐसे में विक्रांत की एक और फिल्म 14 फेरे जी 5 पर रिलीज की जा चुकी है। विक्रांत मैस्सी, कृति खरबंदा, गौहर खान, जमील खान, विनीत कुमार, सुमित सूरी, मनोज बख्शी, प्रियांशु आदि और यामिनी दास मुख्य भूमिका निभाते नजर आए। फिल्म को दिव्यांशु सिंह ने डायरेक्ट किया और मनोज कलवानी ने फिल्म की कहानी लिखी।

फिल्म में विक्रांत और कृति दोनों कलाकारों के प्यार को फ्लैशबैक के जरिए शुरू किया जाता है। कॉलेज लाइफ रोमांस को दिखाते हुए लव स्टोरी को आगे बढ़ाया जाता हैं। विक्रांत यानी संजू एक बिहारी परिवार का सुपुत्र है तो वहीं कृति जयपुर की जाटनी हैं। दोनों के बीच प्यार बढ़ते-बढ़ते लिव इन रिलेशनशिप तक बात बढ़ जाती है और दोनों साथ रहने लगते हैं ‌। अब इस कहानी में ट्विस्ट तब आता हैं जब दोनों इस रिलेशनशिप को शादी में बदलना चाहते हैं ‌।

इसी शादी सिक्वेंस से फिल्म में कठिनाइयां आनी शुरू होती हैं ‌। अपने जिद्दी परिवार जो जाति के विरुद्ध शादी करने के लिए तैयार नहीं है उनको मानाने का काम एक झूठ से शुरू होता हैं। इस झूठ में संजू और अदिति का साथ देते हैं गौहर खान और जामिल खान।‌ इन दो कलाकारों की पर्फोर्मेंस की खास बात की जानी चाहिए। दोनों ने ही बिहारी और जयपुर के जाट के किरदारों को बखूबी और निभाया। जामिल और गौहर एक बार संजू के माता-पिता बनकर अदिति के घर बारात लेकर पहुंचते हैं तो वहीं अदिति के माता-पिता बनकर संजू और बरातियों का स्वागत करते हैं।

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इसी गोलमाल में कॉमेडी और ड्रामा देखने मिलता है। जिसमे विक्रांत के टेंशन से भरे सिक्वेंस और गौहर एंव जामील की कॉमेडी टाइमिंग को दिखाया जाता है। फिल्म में विक्रांत का किरदार उनकी पिछली फिल्मों के किरदारों जितना खास तो नहीं रहा पर उन्होंने बेहतरीन तरीके से अपनी भूमिका निभाई। 

वहीं कृति भी अब तक निभाए गए किरदार में ही दिखी जो उनकी अन्य फिल्मों से थोड़ा ही अलग दिखा। डायरेक्शन में दिव्यांशु भी अपनी पिछली दो फिल्मों 'चिंटू का बर्थडे' और 'उड़ान' जैसा खास काम नहीं कर सके, यह कमी शायद फिल्म की कमजोर कहानी के कारण महसूस होती हैं। कहानी मेंं बहुत से मोड़ आने के कारण कहानी में बहुत ट्विस्ट देखने मिले।

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लेकिन ओवर ऑल कॉमेडी पर यह फिल्म खरी उतरती दिखी। जहां बिहारी परिवार के छोटे-छोटे किस्से और जाट परिवार का गुस्सा फिल्म को खास बनाता रहा। और अंत में समाज की जाति विरूद्ध सोच पर  सीख दी गई।

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