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कोरोना/ अभिनेता सोनू सूद कैसे कर रहे है मजदूरों के लिए खाने और घर पहुंचाने की व्यवस्था, जानें हकीकत

नई दिल्ली। कोरोना महामारी संकट के खिलाफ जंग में प्रवासी मजदूरों और जरूरतमंदों के लिए मसीहा बने अभिनेता सोनू सूद इन दिनों सुर्खियों में छाए रहते हैं। सोनू सूद ने अब तक लॉकडाउन और कोरोना वायरस की मार झेल रहे कई प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया है। सोनू ने मजदूरों के लिए कई बसों का इंतजाम किया है जिसके जरिए वह मजदूरों को उनके घर भेजते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोनू के इस काम में उनकी टीम के अलावा उनकी पत्नी और दोनों बेटे भी उनकी मदद करते हैं।

Sonu Sood

दरअसल, मीडिया से बातचीत करते हुए सोनू सूद ने प्रवासी मजदूरों और जरूरतमंदों की मदद को लेकर ढेर सारी बाते कही। जब उनसे पूछा गया कि इतनी तादाद में मजदूरों को घर पहुंचाना और उनके लिए खाने-रहने की व्यवस्था करने के लिए वह कैसे आर्थिक संसाधन जुटा रहे हैं। इस सवाल का जवाब देते हुए सोनू सूद ने अपने दोस्तों और सहयोगियों का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने कैसे मजदूरों और जरूरतमंदों की मदद करने की कोशिश की।

Sonu Sood

उन्होंने कहा, 'एक बार मैंने और मेरी बचपन की दोस्त ने एक परिवार को देखा और उन्हें घर पहुंचाया। इसके बाद मैंने सोचा कि मैं खुद से इन लोगों की मदद कर सकता हूं। फिर मैंने लोगों के लिए बहुत सारी बसों की व्यवस्था की। इसके बाद लोग जाने शुरू हुए तो एक अलग तरह का माहौल बनना शुरू हुआ। बहुत सारे लोग रुक गए और उन्होंने हमसे संपर्क करना शुरू कर दिया'। सोनू सूद ही नहीं उनकी पत्नी और बेटे भी इसमें सहायता करते है।

How Lockdown actor Sonu Sood is mobilizing financial resources for migrant laborers and the needy know

सोनू सूद ने आगे कहा, 'यह सब हमारे लिए चुनौतीपूर्ण था। हम करीब 15-16 हजार लोगों से मिल चुके हैं और अभी करीब हमारे पास 40- 45 हजार लोगों की लिस्ट है। जब आप पहला कदम रखते हैं तो लोग आपसे धीरे-धीरे जुड़ने लगते हैं। ऐसे ही मेरे बहुत सारे दोस्त मेरे साथ जुड़े। किसी ने कहा कि वह आधी बस के मजदूरों की जिम्मेदारी उठा सकता है तो किसी ने उनके खाने की व्यवस्था कर दी'। अभिनेता ने अपनी बात खत्म करते हुए आगे कहा, 'इस तरह लोग हमसे जुड़ते चलते गए। दूसरे शहरों के लोग फोन करके बोलने लगे कि आप जहां भी हैं जिस शहर में है मजदूरों को खाना खिलाने का सहयोग करें।

Sonu Sood

सोनू ने कहा कि जब किसी जरूरतमंद या मजदूर की कॉल आती है तो सोनाली (सोनू की पत्नी) उसे नोट कर लेती हैं। इसके बाद उनके दोनों बेटे ईशान और अयान लिस्ट बनाते हैं कि कौन किस बस में कहां जाएगा। हालांकि सोनू की पत्नी और बच्चे लाइमलाइट में आना पसंद नहीं करते हैं।  बता दें कि हाल ही में सोनू से पूछा गया कि मजदूरों को घर भेजने में एक बस का कितना खर्च आता है तो सोनू ने कहा कि इसमें 1.8 लाख से लेकर 2 लाख तक का खर्च आता है। उन्होंने बताया कि यह सब इस पर निर्भर करता है कि प्रवासी को कहां जाना है।

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