बच्चे-बच्चे की जुबान पर हैं सनी देओल की फिल्मों के ये डायलॉग्स
मुंबई। बॉलीवुड में एक्शन हीरो की छवि बना चुके मशहूर अभिनेता सनी देओल का आज 65वां जन्मदिन है। इस खास मौके पर हम अपने पाठकों को बता रहे हैं सनी देओल की फिल्मों के कुछ ऐसे डायलॉग्स के बारे में जो आज भी काफी मशहूर हैं।
जक्ख मारती है ये पुलिस , उतारकर फेंक दो ये वर्दी और पहन लो बलवंत राय का पट्टा अपने गले में - घायल (1990 )
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ये मज़दूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है। ये ताकत ख़ून-पसीने से कमाई हुई रोटी की है। मुझे किसी के टुकड़ों पर पलने की जरुरत नहीं-(घातक 1996)
ये ढाई किलो का हाथ किसी पर पड़ता है तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है - दामिनी(1993 )
न सच्चाई के लिए लड़ने वाला रहेगा, न ही इंसाफ मांगने वाला। रह जाएगी तो सिर्फ तारीख़। और यही होता रहा है मीलॉर्ड तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़, तारीख पर तारीख़ मिलती रही है मीलॉर्ड लेकिन इंसाफ नहीं मिला मीलॉर्ड, इंसाफ नहीं मिला। मिली है तो सिर्फ तारीख़- दामिनी(1993 )
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अशरफ अली! आपका पाकिस्तान जिंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज नहीं लेकिन हमारा हिंदुस्तान जिंदाबाद है, जिंदाबाद था और जिंदाबाद रहेगा- गदर: एक प्रेम कथा (2001)
बलि हमेशा बकरे की दी जाती है शेर की नहीं- सिंह साब द ग्रेट (2013 )
इन सबके अलावा सनी देओल ने बॉर्डर, जीत, बिग ब्रदर आदि फिल्मों में कई ऐसे दमदार संवाद बोले जो आज भी दर्शकों के बीच काफी मशहूर है।
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