"एक शाम-ओडिसी नृत्य के नाम" में कलाकारों ने बांधा समां, गुरु अल्पना नायक की अद्भुत नृत्यकला बनी आकर्षण का केंद्र
नई दिल्ली। भूमि प्रणाम 2020 - एसोसिएशन फॉर लर्निंग परफॉर्मिंग आर्ट्स एंड नॉर्मेटिव एक्शन (एएलपीएएनए) द्वारा 21 मार्च 2021 को दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईसीसी) के सीडी देशमुख ऑडिटोरियम, में एक शाम-ओडिसी नृत्य के नाम का आयोजन किया गया, जहां गुरु अल्पना नायक ने अपनी प्रतिभाशाली वरिष्ठ शिष्याओं के साथ शुद्ध ओडिसी शैली में बिल्कुल नई तरह की नृत्यकला पेश की। एएलपीएएनए 2003 से सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक पंजीकृत संगठन है। सोसायटी का मुख्य उद्देश्य परफॉर्मिंग आर्ट्स को बढ़ावा देना और बिना किसी भेदभाव के मानव विकास के लिए काम करना है। इसके तहत समग्र विकास और समावेशी सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाता है।
मुख्य अतिथि राजेश वर्मा (आईएएस) कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव और विशिष्ट अतिथि पहुंचे प्रंबध निदेशक (इफ्को) डॉ. यू.एस.अवस्थी ने दीप प्रज्ज्वलित कर सुरमयी शाम का शुभारंभ हुआ।
प्राप्ति गुप्ता, पीहु श्रीवास्तव, दिशा कान्नन, यास्तिका धवन और नेरिसा राउत ने गुरु अल्पना नायक द्वारा कोरियोग्राफ्ड, प्रशांत बेहरा और प्रफुल्ल मंगराज द्वारा संगीतबद्ध परंपरागत मंगलाचारण से संगीत संध्या की शुरुआत की। और फिर राग कलाबती पर आधारित साभिनया पल्लवी पेश की गई। इसके बाद 18 वीं सदी के ओडिया कवि भक्त काबी बनमाली दास द्वारा लिखित ओडिया अभिनय "संगिनी रे चाहन बेनु पानी की ..." प्रस्तुत किया गया। इसकी कोरियोग्राफी महान गुरु देबा प्रसाद दास द्वारा 1975 की गई थी, जब गुरु अल्पना नायक, एक नवोदित ओडिसी नृत्यांगना थी। बालासोर में उन्होंने इस प्रस्तुति को अकेले ही बेहद खूबसूरत तरीके से निभाया था।
अगली प्रस्तुति बज्रकांति पल्लवी थी, जिसकी कोरियोग्राफी स्वर्गीय गुरु हरे कृष्ण बेहरा और गुरु अल्पना नायक द्वारा की गई थी जबकि संगीत रचना गुरु रामहरि दास की थी। इसके बाद गुरु अल्पना नायक ने सोलहवीं शताब्दी के महान उड़िया कवि सम्राट उपेंद्र भंजा के महाकाव्य से दो अलग-अलग रचनाओं - 'विरोहटकंठिता नायिका' और 'खंडिता नायिका' का चित्रण करते हुए ओडिया नृत्य नाटिका प्रस्तुत की, जिसकी कोरियोग्राफी गुरु अल्पना नायक ने और संगीत रचना प्रशांत बेहरा और प्रफुल्ल मंगराज ने की थी।
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देवी दुर्गा के चरणों में की गई वंदना ‘नव दुर्गा’इस रंगारंग शाम की अंतिम प्रस्तुति थी, जिसे कलाकारों ने मनमोहक नृ्त्य मुद्राओं के साथ प्रस्तुत किया। इस नृत्यनाटिका की कोरियोग्राफी स्वर्गीय गुरु गंगाधर प्रधान ने की थी। गायक-प्रसंता बेहरा, मर्दला पर प्रफुल्ल मंगराज, बांसुरीवादक धीरज पांडे और वायलिन प्रस्तुति गोपीनाथ स्वैन की थी।
अंत में मुख्य अतिथि राजेश वर्मा और विशिष्ट अतिथि डॉ. यू.एस. अवस्थी ने शानदार कोरियोग्राफी और प्रस्तुति के लिए गुरु अल्पना नायक की भरपूर प्रंशसा की तो वहीं डॉ. अवस्थी ने संगीतकारों का अभिनंदन किया। वर्मा ने सभी कलाकारों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
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