Responsive Ad

बाकी टीचर्स तो सिर्फ मार्क्‍स लाने पर जोर देते थे, रूमा मुखर्जी मैम ने सपनों का पीछा करने पर जोर दिया

शिक्षक दिवस के मौके पर 'गली ब्वॉय' फेम अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी ने अपनी फेवरेट टीचर से जुड़ी बातें दैनिक भास्कर के साथ शेयर कीं। उन्होंने बताया, 'मेरी सबसे फेवरेट स्‍कूल टीचर रूमा मुखर्जी थीं। वो इंग्लिश पढ़ाती थीं। मुझे वो सब्‍जेक्‍ट पसंद भी था। मुझे पोएट्री में मजा आता था।'

सिद्धांत ने कहा, 'रूमा मैम की वजह से इंग्लिश लिटरेचर में मेरी दिलचस्‍पी गहरी हुई। पता भी चला कि मुझे स्‍टोरी टेलिंग में आगे बढ़ना चाहिए। रूमा मैम बड़ी सपोर्टिव थीं। उन्‍होंने मुझे मोनोलॉग्‍स सिखाए। मर्चेंट ऑफ वेनिस, जूलियस सीजर जैसे प्‍लेज में एक्टिवली पार्टिसिपेट करवाया। बाकी सब लोग तो डायलॉग रट्टा मारते थे। मगर मुझे वो परफॉर्म करने पर जोर दिलवाया करती थीं।'

'वो ही मुझे मोटिवेट करती थीं'

'मैं बड़ा शर्मीला था। पर वो एनुअल डेज पर मुझे पुश करती थीं कि जाऊं और डांस करूं। उन्‍होंने मेरी झिझक तोड़ी। वो मुझे मोटिवेट करती रहीं। रूमा मैम तो अब कोलकाता मूव हो चुकी हैं। कभी कभार मैं उनसे चैट कर लेता हूं। फिल्‍म देखने के बाद उन्‍होंने मुझे मैसेज करके बताया था कि वो जानती थीं कि मैं एक दिन इस फील्‍ड में जरूर अच्‍छा करूंगा।'

'वे बाकी टीचर्स से बिल्कुल अलग थीं'

सिद्धांत के मुताबिक, 'उन्‍होंने मुझे अपने पैशन को फॉलो करना सिखाया। वो पहली पर्सन थीं, जिन्‍होंने मुझसे कहा कि मुझे एक्‍सप्रेस करना आता है। बाकी टीचर्स तो सिर्फ मार्क्‍स लाने पर जोर देते थे, मगर वे हमेशा हम सबसे अपने सपनों को साकार करने पर जोर लगाने को कहती थीं।'

'रजनी मैम पढ़ाती थीं हिंदी'

आगे उन्होंने कहा, 'हिंदी टीचर्स से जरूर डांट वांट पड़ती थी। मैं हिंदी बोल बहुत अच्‍छा लेता था, पर लिखने में मात्राओं की गलती करता था। रजनी मैम थी हमारी। उन्‍होंने मुझे लिखने पर जोर देने को कहा था। बहुत देर से पता चली, जब आठवीं-नौंवी में था, जब डांसिंग से कॉन्फिडेंस आया। मेरे कर्ली बाल थे। पीटी सर से कई बार डांट खाई। तब से ही छोटे बाल रखने लगा।'

'स्कूल के दिनों में शरीफ बच्चा था'

'स्‍कूल के दिनों में चुपचाप सा रहता था। शरीफ बच्‍चा था। कहते थे कि इंग्लिश अच्‍छी लिख लेता हूं। हिंदी में एक्‍सप्रेशन सही था। बाकी पेरेंट्स तो टीचर होते हैं। टीचर या टीचिंग सिर्फ स्‍कूल-कॉलेज तक सीमित नहीं होते। पेरेंट्स ने यही सिखाया कि जो कोई सिखाए उनके चरणस्‍पर्श करो।'
'चाहे जितने दिन इंडस्‍ट्री में हो जाए, मगर अपने सीनियर्स की इज्‍जत कभी कम मत होने देना। तो इस तरह से रितेश सिधवानी, फरहान, जोया, रणवीर सब टीचर हैं। मेरे थिएटर वाले सीनियर टीचर हैं। एमसी शेर टीचर है।'

(जैसा अमित कर्ण से शेयर किया)



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
The rest of the teachers insisted on bringing only Marx, Ruma Mukherjee Mam insisted on chasing dreams.


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2GxzdtW
via IFTTT

Post a Comment

0 Comments