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अमरीश पुरी ने खलनायकी को ही बनाया अपने करियर का आधार, कुछ ऐसा रहा उनका फिल्मी सफर...

नई दिल्ली। बॉलीवुड में अमरीश पुरी को एक ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपने दमदार अभिनय के बल पर दर्शकों के दिलों पर राज किया और खलनायकी को एक नयी पहचान दी। पंजाब के नौशेरां गांव में 22 जून 1932 में जन्में अमरीश पुरी ने अपने करियर की शुरूआत श्रम मंत्रालय में नौकरी से की और उसके साथ साथ सत्यदेव दुबे के नाटकों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। बाद में वह पृथ्वी राज कपूर के ‘पृथ्वी थियेटर’में बतौर कलाकार अपनी पहचान बनाने में सफल हुये। 

Amrish Puri

वर्ष 1971 मे बतौर खलनायक अमरीश पुरी ने फिल्म रेशमा और शेरा से अपने कैरियर की शुरूआत की लेकिन इस फिल्म से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके। लेकिन उनके उस जमाने के मशहूर बैनर बाम्बे टाकिज में कदम रखने बाद उन्हें बडें बड़े बैनर की फिल्में मिलनी शुरू हो गयी। अमरीश पुरी ने खलनायकी को ही अपने कैरियर का आधार बनाया। इन फिल्मों में ‘निंशात’,‘मंथन’,‘भूमिका’,‘कलयुग’ और ‘मंडी’ जैसी सुपरहिट फिल्में भी शामिल हैं। इस दौरान यदि अमरीश पुरी की पसंद के किरदार की बात करें तो उन्होंने सबसे पहले अपना मनपसंद और न कभी नहीं भुलाया जा सकने वाला किरदार गोविन्द निहलानी की वर्ष 1983 मे प्रदर्शित कलात्मक फिल्म ‘अर्द्धसत्य’ में निभाया। इस फिल्म मे उनके सामने कला फिल्मों के अजेय योद्धा ओमपुरी थे। इसी बीच हरमेश मल्होत्रा की वर्ष 1986 में प्रदर्शित सुपरहिट फिल्म ‘नगीना’में उन्होंने एक सपेरे की भूमिका निभाया जो लोगो को बहुत भाया। इच्छाधारी नाग को केन्द्र में रख कर बनी इस फिल्म में श्रीदेवी और उनका टकराव देखने लायक था।

Amrish Puri

वर्ष 1987 में अपनी पिछली फिल्म ‘मासूम’ की सफलता से उत्साहित शेखर कपूर बच्चों पर केन्द्रित एक और फिल्म बनाना चाहते थे जो द ‘इनविजबल मैन’ के पर आधारित थी। इस फिल्म मे नायक के रूप मे अनिल कपूर का चयन हो चुका था जबकि कहानी की मांग को देखते हुये खलनायक के रूप मे ऐसे कलाकार की मांग थी जो फिल्मी पर्दे पर बहुत ही बुरा लगे। इस किरदार के लिये निर्देशक ने अमरीश पुरी का चुनाव किया जो फिल्म की सफलता के बाद सही साबित हुआ। इस फिल्म मे अमरीश पुरी द्वारा निभाये गये किरदार का नाम था ‘मौगेम्बो’ और यही नाम इस फिल्म के बाद उनकी पहचान बन गया ।

Amrish Puri

जहां भारतीय मूल के कलाकार को विदेशी फिल्मों में काम करने की जगह नहीं मिल पाती है वही अमरीश पुरी ने स्टीफन स्पीलबर्ग की मशहूर फिल्म ‘इंडिना जोंस एंड द टेंपल ऑफ डूम’ में खलनायक के रूप में काली के भक्त का किरदार निभाया। इसके लिये उन्हें अंतराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुयी। इस फिल्म के पश्चात उन्हें हालीवुड से कई प्रस्ताव मिले जिन्हें उन्होनें स्वीकार नहीं किया क्योंकि उनका मानना था कि हाॅलीवुड मे भारतीय मूल के कलाकारों को नीचा दिखाया जाता है। रंगमंच से फिल्मों के रूपहले पर्दे तक पहुंचे अमरीश पुरी ने लगभग 250 फिल्मों में अभिनय का जौहर दिखाया। लगभग चार दशक तक अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल में खास पहचान बनाने वाले अमरीश पुरी 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया से अलविदा कह गये ।

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