Responsive Ad

बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे कमाल अमरोही, मीना कुमारी से तलाक के बाद बनाई ऐसी फिल्में.. निर्माण में लग गए 14 वर्ष

नई दिल्ली । बॉलीवुड में कमाल अमरोही का नाम एक ऐसी शख्सियत के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने बेहतरीन गीतकार,पटकथा और संवाद लेखक तथा निर्माता एवं निर्देशक के रूप में भारतीय सिनेमा पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। उत्तर प्रदेश के अमरोहा में 17 जनवरी 1918 को एक जमींदार परिवार में जन्में कमाल अमरोही का मूल नाम सैयद आमिर हैदर कमाल नकवी था। वह शुरुआती दौर में एक उर्दू समाचार पत्र में नियमित रूप से स्तम्भ लिखा करते थे। अखबार में कुछ समय तक काम करने के बाद उनका मन नहीं लगा और वह कलकत्ता(कोलकाता) चले गए और फिर वहां से मुम्बई आ गए।

कमाल अमरोही

मुंबई पहुंचने पर कमाल अमरोही को मिनर्वा मूवीटोन की निर्मित कुछ फिल्मों में संवाद लेखन का काम मिला। इनमें ‘जेलर’, ‘पुकार’ और ‘भरोसा’ जैसी फिल्में शामिल हैं लेकिन इन सबके बावजूद कमाल अमरोही को वह पहचान नहीं मिल पायी जिसके लिये वह मुंबई आये थे। अपना वजूद तलाशते कमाल अमरोही को अपनी पहचान बनाने के लिये लगभग 10 वर्ष तक फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष करना पड़ा। कमाल अमरोही का सितारा वर्ष 1949 में प्रदर्शित अशोक कुमार की निर्मित क्लासिक फिल्म ‘महल’ से चमका। अशोक कुमार ने कमाल अमरोही को फिल्म महल के निर्देशन का जिम्मा दिया। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी ‘महल’ की कामयाबी ने न सिर्फ पार्श्वगायिका लता मंगेशकर के सिने करियर को सही दिशा दी बल्कि फिल्म की नायिका मधुबाला को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया। आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

कमाल अमरोही

वर्ष 1952 में कमाल अमरोही ने फिल्म अभिनेत्री मीना कुमारी से शादी कर ली उस समय कमाल अमरोही और मीना कुमारी की उम्र में काफी अंतर था। कमाल अमरोही 34 वर्ष के थे जबकि मीना कुमारी महज 19 वर्ष की थीं। ‘महल’ की कामयाबी के बाद कमाल अमरोही ने कमाल पिक्चर्स और कमालिस्तान स्टूडियो की स्थापना की। कमाल पिक्चर्स के बैनर तले उन्होंने अभिनेत्री पत्नी मीना कुमारी को लेकर ‘दायरा’ फिल्म का निर्माण किया लेकिन यह फिल्म टिकट खिड़की पर कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी।

कमाल अमरोही

इसी दौरान कमाल अमरोही को के.आसिफ की वर्ष 1960 में प्रदर्शित फिल्म ‘मुगले आजम’ में संवाद लिखने का अवसर मिला। इस फिल्म के लिए वजाहत मिर्जा संवाद लिख रहे थे लेकिन के.आसिफ को लगा कि एक ऐसे संवाद लेखक की जरुरत है जिसके लिखे डाॅयलाग दर्शकों के दिमाग से बरसों तक नहीं निकल पाएं और इसके लिए उन्होंने कमाल अमरोही को अपने चार संवाद लेखकों में शामिल कर लिया। इस फिल्म के लिए कमाल अमरोही को सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। वर्ष 1964 में कमाल अमरोही और मीना कुमारी के वैवाहिक जीवन में दरार आ गयी और दोनों अलग-अलग रहने लगे। इस बीच कमाल अमरोही अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘पाकीजा’ के निर्माण में व्यस्त रहे। कमाल अमरोही की फिल्म ‘पाकीजा’ के निर्माण में लगभग 14 वर्ष लग गये। कमाल अमरोही और मीना कुमारी अलग-अलग हो गये थे फिर भी कमाल अमरोही ने फिल्म की शूटिंग जारी रखी क्योंकि उनका मानना था कि पाकीजा जैसी फिल्मों के निर्माण का मौका बार बार नहीं मिल पाता है। वर्ष 1972 में जब ‘पाकीजा’ प्रदर्शित हुयी तो फिल्म में कमाल अमरोही के निर्देशन क्षमता और मीना कुमारी के अभिनय को देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये। इसके साथ हीं फिल्म पाकीजा आज भी कालजयी फिल्मों में शुमार की जाती है।

कमाल अमरोही

वर्ष 1972 में मीना कुमारी की मौत के बाद कमाल अमरोही टूट से गये और उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। वर्ष 1983 में कमाल अमरोही ने खुद को स्थापित करने के उद्देश्य से एक बार फिर से फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया और फिल्म ‘रजिया सुल्तान’ का निर्देशन किया। भव्य पैमाने पर बनी इस फिल्म में कमाल अमरोही ने एक बार फिर से अपनी निर्देशन क्षमता का लोहा मनवाया लेकिन दर्शकों को यह फिल्म पसंद नहीं आयी और बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से नकार दी गयी। नब्बे के दशक में कमाल अमरोही ‘अंतिम मुगल’ नाम से एक फिल्म बनाना चाहते थे लेकिन उनका यह ख्वाब हकीकत में नहीं बदल पाया। अपने कमाल से दर्शकों के दिलों में खास पहचान बनाने वाले महान फिल्मकार कमाल अमरोही 11 फरवरी 1993 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।

यह खबर भी पढ़े:फिल्मों और एक्टिंग से ज्यादा अपनी जिम लुक की चर्चा होने से मायूस जाह्नवी

यह खबर भी पढ़े:KGF 2 में रमिका सेन का किरदार निभाएंगी रवीना टंडन, संजय दत्त बनेंगे अधीरा

मात्र 289/- प्रति sq. Feet में जयपुर में प्लॉट बुक करें 9314166166

 



from Entertainment News https://ift.tt/38gPigH
via IFTTT

Post a Comment

0 Comments