Responsive Ad

रेखा ने फिल्म करने से इंकार कर दिया था लेकिन मंगलकामना में सोने की चेन दे दी, इंटरव्यू में बताया था- मैं दो ही चीजों के लिए तरस रही हूं

रुपहले परदे की 'देवी' रेखा को दुनिया 'दीवा' के रूप में जानती है और उनके प्रशंसक उन्हें अक्सर किसी ना किसी पुरस्कार समारोह में देखने को आतुर रहते हैं। स्टार्स के एटीट्यूड को लेकर एक दिन मेरे साथ चर्चा करने के दौरान उन्होंने कहा था, 'जिस दिन रेखा ने रेखा जैसा बर्ताव करना शुरू कर दिया, वह दिन रेखा का आखिरी दिन होगा।' उन्होंने जोर देकर कहा था कि वे कभी नहीं बदलेंगी- 'कम से कम मैं यही प्रार्थना करती हूं कि मैं जैसी हूं, वैसी ही रहूं।' तब रेखा सपने देखने वाली थीं, बहुत ही संवेदनशील।

साल बीतते-बीतते दशकों में बदल गए। 'स्टारडम' ने कई उतार-चढ़ाव देखे। लेकिन रेखा की मौलिकता वैसी ही बनी रही, जैसा उन्होंने वादा किया था। उनके जन्मदिन (10 अक्टूबर) पर मैं खास उपहारस्वरूप उनके साथ मेरी पुरानी स्मृतियों को एक स्मृतिग्रंथ के तौर पर पेश कर रही हूं।

उन्होंने ये कहकर रोक लिया कि बाहर काफी गर्मी होगी

बात 1977 की है। स्थान मुंबई का श्री साउंड स्टूडियो। मैंने रिपोर्टिंग करनी शुरू ही की थी। उस दिन मैं अपने कॉलेज से सीधे स्टूडियो पहुंच गई। थोड़ी हिचक के साथ मैंने उनके मेकअप रूम का दरवाजा खटखटाया। किसी ने दरवाजा खोला। उधर रेखा ने शीशे में से देखकर मुझे अंदर आने का इशारा किया। मैंने उन्हें बताया कि मैं यहां उनका इंटरव्यू लेने आई हूं। उन्होंने कहा कि अभी तो उन्हें तैयार होना है। लेकिन अगर बाद में थोड़ा वक्त रहा तो वे मेरे सवालों के जवाब देंगी। मैं जाने के लिए मुड़ी ही थी कि उन्होंने मुझे रोककर कहा कि बाहर काफी गर्मी होगी। मैं उनके ही कमरे में इंतजार कर सकती हूं।

पहली बार किसी स्टार को उसके चरित्र में ढलते देखा

मैं वहीं कोने में बैठकर मेकअप मैन को देखती रही। वह कभी उनके चेहरे पर गुलाबी तो आंखों पर काले रंग के शेड्स देता। मेकअप मैन का काम खत्म होने के बाद अब बारी हेयरड्रैसर की थी। उसने उनके लंबे बालों की कई चोटियां बनाईं और उन्हें आपस में गूंथकर एक बड़े-से जूड़े में बदल दिया। जूड़े पर सिल्वर कलर की छोटी-छोटी घंटीनुमा पिन लगा दिए जो जब-तब बज उठते। इसके बाद रेखा ने बंगाली साड़ी पहनी। यह मेरे लिए पहला मौका था जब मैं एक स्टार को उसके चरित्र में ढलते हुए देख रही थी, मंत्रमुग्ध होकर।

भावना सोमाया, जानी-मानी फिल्म लेखिका, समीक्षक और इतिहासकार

अच्छे खाने और कई घंटों की नींद के लिए तरसती थीं रेखा

रेखा एक ऊंची कुर्सी पर बैठ गईं। उनकी एक सहायिका ने उनके पैरों में पायजेब पहनाए। इसके बाद वे मेरी ओर मुखातिब हुई और बोलीं, 'मुझे सेट पर बुलावा आए, उससे पहले ही तुम फटाफट अपना इंटरव्यू पूरा कर लो।' मेरे पास रेखा के लिए उनके शूटिंग और फिटनेस शेड्यूल आदि से जुड़े बहुत ही सामान्य से सवाल थे।

उन्होंने बताया कि दो-दो, तीन-तीन शिफ्ट में काम करने के कारण उन्हें फिटनेस के लिए वक्त ही नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा, 'मैं इन दिनों बहुत ही कठोर डाइटिंग पर हूं और यह मेरे लिए बहुत ही कष्टदायक है। यहां ज्यादा वजन होना शाप के समान है और इससे जिंदगी छोटे-छोटे आनंदों से ही वंचित रह गई है। इन दिनों मैं दो ही चीजों के लिए तरस रही हूं- अच्छा खाना और कई घंटों की नींद। और मुझे ये दोनों ही नहीं मिल पा रही, उफ्फ!'

पब्लिसिस्ट ने मुझे रेखा से जुड़ा किस्सा सुनाया

थोड़ी ही देर में सेट पर से बुलावा आ गया और मैं बाहर आ गई। वहीं अचानक मेरी मुलाकात धीरेंद्र किशन से हुए। उन्होंने अपना परिचय रेखा के पब्लिसिस्ट के तौर पर करवाया। वे उधर ही जा रहे थे, जिधर मैं जा रही थी। उन्होंने मुझे घर तक छोड़ने का प्रस्ताव दिया। धीरेंद्र किशन ने रास्ते में मुझे रेखा के बारे में एक मजेदार किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि वे अपने होम प्रोडक्शन की एक फिल्म में रेखा को लेना चाह रहे थे और वे उन्हें लगातार टाल रही थीं।

गले से तिरुपति की सोने की चेन उतारकर दे दी

लगातार जोर देने पर एक दिन रेखा ने उन्हें अपनी कार में बैठाया और हेमा मालिनी के बंगले के बाहर छोड़ते हुए कहा, 'अगर तुम अपनी फिल्म पूरी करना चाहते हो तो हेमा मालिनी को साइन करो। मेरा कोई भरोसा नहीं।' किशन जब उनकी कार से उतरने लगे तो रेखा ने अपने गले में पहनी तिरुपति की सोने की चेन उतारकर उनके गले में डाल दी, उनकी मंगलकामना के लिए। किशन ने मुझसे कहा, 'बताओ, कौन सी दूसरी एक्ट्रेस ऐसा करेगी?'




Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Talking Point with Bhawana Somaaya Rekha Birthday special; Rekha refused to do the film but gave a gold chain to Mangalamnama, told in the interview - I am craving for only two things.


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2GzHq0M
via IFTTT

Post a Comment

0 Comments