Responsive Ad

फिल्मों में एंट्री की बात सुनकर पिता ने उनपर तान दी थी बंदूक, फिल्मों में सफल हुए तो ओशो से प्रभावित होकर बर्बाद कर ली अपनी शादीशुदा जिंदगी

विनोद खन्ना की 6 सितंबर को 74वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान में हुआ था जबकि 27 अप्रैल, 2017 को मुंबई में उनका निधन हो गया था।

विनोद खन्ना की लाइफ किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी। साधारण परिवार से होने के बाद बॉलीवुड एक्टर बनने और फिर ओशो से प्रभावित होकर अपनी शादीशुदा जिंदगी खत्म करने को लेकर, वो हमेशा ही सुर्खियों में रहे।


कॉलेज में मिला पहला प्यार
भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद विनोद खन्ना का परिवार मुंबई आ गया था। उनके पिता टेक्सटाइल बिजनेसमैन थे। मुंबई और दिल्ली में स्कूली पढ़ाई के बाद कॉलेज के दिनों के दौरान विनोद इंजीनियर बनना चाहते थे। विनोद साइंस के स्टूडेंट थे।

वहीं, उनके पिता चाहते थे कि वो कॉमर्स लें और पढ़ाई के बाद घर के बिजनेस से जुड़ें। पिता ने उनका एडमिशन एक कॉमर्स कॉलेज में भी करा दिया, लेकिन विनोद का पढ़ाई में मन नहीं लगा।

विनोद के अनुसार, कॉलेज लाइफ में उन्होंने थिएटर में काम करना शुरू किया। वहां उनकी कई गर्लफ्रेंड्स थीं। यहीं उनकी मुलाकात गीतांजलि से हुई। गीतांजलि विनोद की पहली पत्नी थीं। कॉलेज से ही उनकी लव-स्टोरी शुरू हुई थी।​​​​​​​


जब पिता ने तानी थी बंदूक
विनोद के अनुसार, एक पार्टी के दौरान उनकी मुलाकात सुनील दत्त से हुई थी। वो एक फिल्म के लिए अपने भाई के किरदार के लिए किसी नए अभिनेता की तलाश में थे। उन्होंने विनोद खन्ना को वो रोल ऑफर किया। लेकिन जब ये बात उनके पिता को पता चली तो उन्होंने विनोद पर बंदूक तान दी।

उनका कहना था कि यदि वे फिल्मों में गए तो गोली मार दूंगा। हालांकि, विनोद की मां ने उनके पिता को इसके लिए राजी कर लिया और दो साल का वक्त दिया। पिता ने कहा कि दो साल तक कुछ ना कर पाए तो फैमिली बिजनेस ज्वाइन कर लेना।


एक हफ्ते में साइन की 15 फिल्में
विनोद की पहल फिल्म थी ‘मन का मीत’, जिसे मिले-जुले रिएक्शंस मिले। इसके बाद एक हफ्ते में ही विनोद ने करीब 15 फिल्में साइन कीं। फिल्मों में कुछ सफलता के बाद विनोद और गीतांजलि ने शादी का फैसला किया। दोनों के दो बेटे राहुल खन्ना और अक्षय खन्ना हैं।


ओशो से हुए प्रभावित
एक समय था जब फैमिली को वक्त देने के लिए विनोद संडे को काम नहीं करते थे। ऐसा करने वाले वो शशि कपूर के बाद दूसरे एक्टर थे, लेकिन ओशो से प्रभावित होकर उन्होंने अपना पारिवारिक जीवन तबाह कर लिया था। विनोद अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे।

यहां तक कि उन्होंने अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए। दिसंबर, 1975 में विनोद ने जब फिल्मों से संन्यास का फैसला लिया तो सभी चौंक गए थे। उन्हें ‘सेक्सी संन्यासी’ तक कहा जाने लगा। विनोद अमेरिका चले गए और ओशो के साथ करीब 5 साल गुजारे। वो वहां उनके माली थे।


गीतांजलि से टूट गया रिश्ता
4-5 साल तक परिवार से दूर रहने वाले विनोद का परिवार पूरी तरह टूट गया था। जब वो इंडिया लौटे तो पत्नी उन्हें तलाक देने का फैसला कर चुकी थीं। फैमिली बिखरने के बाद 1987 में विनोद ने फिल्म ‘इंसाफ’ से फिर से बॉलीवुड में एंट्री की।


1990 में की दूसरी शादी
दोबारा फिल्मी करियर शुरू करने के बाद विनोद ने 1990 में कविता से शादी की। दोनों के एक बेटा और एक बेटी है। विनोद का दूसरा बेटा साक्षी भी फिल्मों में आने की तैयारी कर रहा है।


1997 में आए राजनीति में
अभिनेता के बाद 1997 में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बनने के बाद विनोद नेता भी बन गए। राजनीति में सक्रिय विनोद खन्ना कई फिल्मों में भी नजर आ आए लेकिन उन्हें ब्लेडर कैंसर था जिसके चलते चार साल पहले उनका निधन हो गया।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Vinod Khanna's life interesting story


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3jBhoc6
via IFTTT

Post a Comment

0 Comments