कंगना के दफ्तर पर चला बुलडोजर, प्रोड्यूसर ने कहा- कंगना ने सरकार से दुश्मनी की लंबी लकीर खींच ली
कंगना रनोट के मुंबई स्थित दफ्तर पर बीएमसी ने बुधवार को तोड़फोड़ की कार्रवाई की। ज्यादातर मामलों में अमूमन सोशल मीडिया आदि पर मुखर रहने वाली बॉलीवुड बिरादरी इस पूरे प्रकरण पर चुप रही। कंगना के एक प्रोड्यूसर ने बताया कि कंगना ने सरकार से दुश्मनी की लंबी लकीर खींच ली है। वहीं कुछ अन्य ने एक्ट्रेस के साथ हुए व्यवहार को गलत बताया।
उस प्रोड्यूसर के मुताबिक, सरकार ने एनसीबी में समीर वानखेड़े नाम के अफसर को तैनात किया है। जिनकी बॉलीवुड बिरादरी से पहले से ही खुन्नस रही है। जब वो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में थे तो तब भी टैक्स संबंधी मसलों पर सेलेब्स के साथ खासी सख्ती से पेश आते थे। अब कंगना रनोट की ड्रग्स की टेस्टिंग होनी है तो खास इसी अफसर को कमान सौंपी गई है।
गुलशन बोले- यहां गेम ऑफ थ्रोन्स खेला जा रहा
कंगना के समर्थन में बॉलीवुड बिरादरी से चुनिंदा लोगों ने ही अपनी प्रतिक्रियाएं जाहिर कीं। गुलशन देवैया ने कहा, 'चीप टैक्टिस किसी एक झुंड तक ही सीमित नहीं है। यहां गेम ऑफ थ्रोन्स खेला जा रहा है। कहीं से भी इन चीजों की दरकार नहीं थी।'
अभिषेक डोगरा ने इसे पॉलिटिकल मोटिवेटेड बताया
डायरेक्टर अभिषेक डोगरा ने बताया, 'ये सब बदले की राजनीति चल रही है। शिव सेना की तरफ से बड़ा बचकाना कदम उठाया गया है। पूरी तरह से पॉलिटिकली मोटिवेटेड है। भारत की नागरिक होने के नाते कंगना को हक है, वो जो कुछ कहना चाहे कह सकती है।'
प्रीतिश नंदी बोले- उन्हें नॉनसेंस से दूर रहना चाहिए
प्रीतिश नंदी के मुताबिक, 'मैं उनके नेपोटिज्म वाले मसले पर उनका साथ देता हूं। मुझे भी लगता है कि आउटसाइडर्स और न्यूकमर्स को बुली किया जाता है। खासकर प्रोड्यूसर्स और एक्टर्स का जो पुराना गैंग है। हां, मैं कंगना के मुंबई के पीओके वाले बयान से सहमत नहीं हूं। उस पर भी नहीं कि पूरी इंडस्ट्री ही ड्रग एडिक्ट है। मुंबई दुनिया के महान शहरों में से एक है। साथ ही जिस शहर ने आपका करियर बनाया, उसे आप यूं बदनाम नहीं कर सकते। वे अच्छी एक्ट्रेस हैं, पर इन सारे नॉनसेंस से उन्हें दूर रहना चाहिए।'
ललित पंडित ने पूछा- बाकी पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई
म्यूजिक डायरेक्टर ललित पंडित ने भी कंगना का समर्थन और बीएमसी के कदम का विरोध किया। उन्होंने कहा, 'मुंबई में तो कदम-कदम पर अवैध निर्माण हैं। उन सब पर तो कोई कार्रवाई हुई नहीं कभी। शरद पवार ने ठीक ही कहा था, यह सब करने की जरूरत नहीं।'
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