जगजीत सिंह से लेकर शेखर सुमन तक, इन सेलेब्स ने अपनी आंखों से देखी अपने बच्चों की मौत
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जगजीत सिंह के इकलौते बेटे विवेक सिंह की साल 1990 में एक कार दुर्घटना में मौत हो गई थी। ये जगजीत की जिंदगी का सबसे बुरा दौर था। वो 6 महीने तक सदमे में थे। उन्हें इस हादसे से उबरने में काफी वक्त लगा। जगजीत की पत्नी चित्रा सिंह अपने 18 साल के बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई थीं। अपने जवान बेटे की मौत का उन पर इतना गहरा असर पड़ा था कि उन्होंने गाना ही छोड़ दिया। 'समवन समव्हेयर' उनका आखिरी एल्बम था, जिसे जगजीत और चित्रा ने एक साथ गाया था।
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शेखर सुमन की लाइफ में भी एक वक्त ऐसा आया था जब वे डिप्रेशन में चले गए थे और अपनी जिंदगी खत्म करना चाहते थे। अपने बेटे को खोने के गम में डिप्रेशन में चले गए थे। वे और उनकी वाइफ अलका इतने ज्यादा डिप्रेशन में थे कि अपनी लाइफ तक खत्म करना चाहते थे। शेखर के बड़े बेटे आयुष को एंडोकार्डियल फाइब्रोलास्टोसिस नाम की रेयर हार्ट डिसीज थी, जिसके कारण उसकी 11 साल की उम्र में मौत हो गई थी।
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मशहूर कॉमेडियन, एक्टर और डायरेक्टर महमूद अली का 2002 में अमेरिका में निधन हो गया था। महमूद ने भी अपनी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे. खासकर अपने बेटे मैकी अली की मौत ने उन्हें तोड़कर रख दिया था। मैकी की 31 साल की उम्र में कार्डियक अरेस्ट के चलते मौत हो गई थी। उस समय मैकी म्यूजिक इंडस्ट्री में जगह बना रहे थे। वह म्यूजिक एल्बम यारों सब दुआ करो में भी नजर आए थे।
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आशा जी की बेटी वर्षा भोसले ने 56 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली थी। यह घटना 2012 में घटी थी। वर्षा डिप्रेशन की शिकार थीं और कई सालों से उनका इलाज चल रहा था। वर्षा 1998 में अपने पति से तलाक के बाद डिप्रेशन में आ गई थीं और इसके बाद तीन बार आत्महत्या की कोशिश कर चुकी थीं। इसके बाद 2012 में उनकी कोशिश सफल हो गई और उन्होंने आत्महत्या कर ली। काम के चलते आशा जी जब सिंगापुर में थीं तो वर्षा ने एक बंदूक से गोली मार ली थी और उनकी मौत हो गई थी।
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कबीर बेदी के बेटे सिद्धार्थ ने उस वक्त सुसाइड कर लिया था जब वो 26 साल के थे। कबीर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें पता था कि बेटा सुसाइड करने वाला है लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी वे उसे बचा नहीं पाए। कबीर बेदी ने इंटरव्यू में बताया था- 'मेरे बेटे ने इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी में ऑनर्स किया था। फिर वो मास्टर डिग्री की पढ़ाई करने नॉर्थ कैलिफोर्निया की यूनिवर्सिटी में गया। यहां आकर उसकी लाइफ में सबकुछ चेंज हो गया। पढ़ाई के दौरान पता चला कि वो डिप्रेशन में है। डिप्रेशन बढ़ता गया और आखिरकार ये सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर बीमारी में बदल गया। बेटे का इलाज करवाया लेकिन इस दौरान दी जाने वाली दवाएं उसे उदासी की ओर ले गईं'। उन्होंने बताया था- 'बेटे को हर दिन पॉजीटिव बनाने की कोशिश की लेकिन वक्त के साथ-साथ उसकी बीमारी ने और ज्यादा गंभीर रूप ले लिया। उसने खुद अपनी बीमारी के बारे में सर्च किया और उसे पता चला कि इस बीमारी के गंभीर नतीजे होंगे। एक दिन उसने मुझसे कहा वो सुसाइड करने की सोच रहा है। ये बात सुनकर मैं शॉक्ड रह गया था। मैंने उसे बहुत समझाया लेकिन वो नहीं माना और एक दिन उसने अपनी जिंदगी खत्म कर ली।
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