स्मिता पाटिल, शबाना आजमी और नसीरुद्दीन शाह को बॉलीवुड में इस फिल्मकार ने किया स्थापित
नई दिल्ली । बॉलीवुड फिल्मकार श्याम बेनेगल ने सामानांतर सिनेमा को पहचान दिलायी बल्कि स्मिता पाटिल, शबाना आजमी और नसीरउद्दीन साह समेत कई सितारों को स्थापित किया। श्याम बेनेगल ने अपने करियर की शुरूआत बतौर कॉपीराइटर मुंबई की विज्ञापन ऐजेंसी से की। वर्ष 1962 में श्याम बेनेगल ने अपनी पहली डाक्यूमेंट्री फिल्म गुजराती में बनायी। श्याम बेनेगल ने अपने सिने करियर की शुरूआत बतौर निर्देशक वर्ष 1974 में प्रदर्शित फिल्म अंकुर से की। फिल्म ‘अंकुर’ हैदराबाद की एक सत्य घटना पर आधारित थी। फिल्म के निर्माण के समय श्याम बेनेगल ने अपनी कहानी कई अभिनेत्रियों को सुनायी लेकिन सभी ने फिल्म में काम करने से मना कर दिया लेकिन शबाना आजमी ने इसे चैलेंज के रूप में लिया और अपने सधे हुये अभिनय से समीक्षकों के साथ ही दर्शकों का भी दिल जीतकर फिल्म को सुपरहिट बना दिया। शबाना की यह पहली फिल्म थी जिसके लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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वर्ष 1975 में श्याम बेनेगल की मुलाकात स्मिता पाटिल से हुयी। उन दिनों श्याम बेनेगल चरण दास चोर बनाने की तैयारी कर रहे थे। चरण दास चोर एक बाल फिल्म थी जो चिल्ड्रेन फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया के सहयोग से बनायी जा रही थी। श्याम बेनेगल ने स्मिता पाटिल को अपनी फिल्म के लिये चुन लिया। चरणदास चोर स्मिता के करियर की पहली फिल्म थी। वर्ष 1975 में श्याम बेनेगल की और सुपरहिट फिल्म निशांत प्रदर्शित हुयी। इस फिल्म के जरिये श्याम बेनेगल ने नसीरउद्दीन साह को फिल्म इंडस्ट्री में लांच किया। निशांत में नसीरउद्दीन साह के अलावा गिरीश कर्नाड, स्मिता पाटिल, शबाना आजमी और अमरीश पुरी ने भी मुख्य भूमिकायें निभायी थीं। वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म मंथन श्याम बेनेगल के करियर की उत्कृष्ठ फिल्मों में शामिल है। दुग्ध क्रांति पर बनी फिल्म ‘मंथन’ के निर्माण के लिये गुजरात के लगभग पांच लाख किसानों ने अपनी प्रति दिन की मिलने वाली मजदूरी में से दो-दो रुपये फिल्म निर्माताओं को दिये और बाद में जब यह फिल्म प्रदर्शित हुयी तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुयी।
वर्ष 1977 में श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी फिल्म भूमिका प्रदर्शित हुयी। इस फिल्म के माध्यम से श्याम बेनेगल ने तीस-चालीस के दशक में मराठी रंगमच की जुड़ी अभिनेत्री हंसा वाडेकर की निजी जिंदगी को रूपहले पर्दे पर पेश किया। हंसा वाडेकर की भूमिका स्मिता पाटिल ने निभायी जिसके लिये वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित की गयी। अंकुर, निशांत, मंथन और भूमिका जैसी फिल्मों के जरिये श्याम बेनेगल ने शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और नसीरउद्दीन साह को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया बल्कि सामानांतर सिनेमा को भी अलग पहचान दिलाई। इसके बाद श्याम बेनेगल ने जूनून, मंडी, त्रिकाल, सरदारी बेगम और वेलकम टु सज्जनपुर जैसी नायाब फिल्में बनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
श्याम बेनेगल को अपने सिने करियर में मान सम्मान खूब मिला। श्याम बेनेगल को सात बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1976 में उन्हें पदमश्री और वर्ष 1991 में पदमभूषण से सम्म्मानित किया गया। वर्ष 2005 में श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किये गये।
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