दो मिनट के सीन में इतना रोना-धोना था कि बार-बार ग्लिसरीन डालकर सूज गई थीं आंखें- श्रीराम लागू
बॉलीवुड डेस्क.डॉ. श्रीराम लागू ने सैंकड़ों फिल्मों भले ही की हों पर उनका दिल हमेशा थिएटर के लिए ही धड़कता रहा। पुराने जमाने की फेमस अभिनेत्री तबस्सुम ने उनका एक साक्षात्कार अपने कार्यक्रम तबस्सुम टॉकीज के लिए लिया था, जिसमें डॉ. लागू अपने थिएटर प्रेम का खुलकर इजहार करते नजर आते हैं। डॉ. श्रीराम लागू के देहावसान पर तबस्सुम ने भास्कर से उनका यह खास साक्षात्कार शेयर किया।
कुछ खास बातें
- मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई के साथ ही डॉ. लागू ने नाटकों में अभिनय करना शुरू कर दिया था। उन्होंने बालचंद्र वामन केलकर के साथ कई नाटक किए।
- 1969 में वे मराठी नाटकों में फुल टाइम एक्टर बन गए।
- सन 1999 में उन्होंने और सामाजिक कार्यकर्ता जी पी प्रधान ने भ्रष्टाचार-विरोधी अन्ना हजारे के समर्थन में उपवास किया था।
- उनकी आत्मकथा का शीर्षक है लमन (लामा), जिसका अर्थ है 'माल का वाहक'।
ये मिले अवॉर्ड्स
- 1978: फिल्मफेयर अवॉर्ड सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का 'घरौंदा' के लिए।
- 1997: कालिदास सम्मान।
- 2006: सिनेमा और थिएटर में योगदान के लिए मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान।
- 2007: 'पुण्यभूषण' पुरस्कार
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