Birthday spl: बगैर संवाद बोले सिर्फ आंखो और चेहरे के भाव से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते थे नाना
नई दिल्ली । अभिनेता नाना पाटेकर की फिल्म ‘खामोशी’ मे उनके अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। इस फिल्म में उन्होंने अभिनेत्री मनीषा कोईराला के गूंगे पिता की भूमिका निभाई। यह भूमिका किसी भी अभिनेता के लिये बहुत बड़ी चुनौती थी। बगैर संवाद बोले सिर्फ आंखो और चेहरे के भाव से दर्शको को सब कुछ बता देना नाना पाटेकर की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाये।
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वर्ष 1999 मे नाना पाटेकर को मेहुल कुमार की ही फिल्म ‘कोहराम’ में भी काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उनके अभिनय के नये आयाम देखने को मिले। फिल्म में उन्हें सुपरस्टार अमिताभ बच्च्न के साथ पहली बार काम कियस। फिल्म मे अमिताभ बच्चन और नाना पाटेकर जैसे अभिनय की दुनिया केदोनो महारथी का टकराव देखने लायक था। हांलाकि इसके बावजूद भी फिल्म को अपेक्षित सफलता नही मिल पायी ।
वर्ष 2007 में प्रदर्शित फिल्म ‘वेलकम’ में नाना पाटेकर के अभिनय का नया रंग देखने को मिला। इस फिल्म के पहले उनके बारे में कहा जाता था कि वह केवल संजीदा अभिनय करने में ही सक्षम है लेकिन नाना ने जबरस्त हास्य अभिनय कर दर्शको को मंत्रमुग्ध कर अपने आलोचकों का मुंह सदा के लिये बंद कर दिया और फिल्म को सुपरहिट बना दिया।
नाना पाटेकर को अब तक चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। नाना पाटेकर को तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। नाना पाटेकर उन गिने चुने अभिनेताओं में एक है जो फिल्म की संख्या के बजाये फिल्म की गुणवत्ता को अधिक महत्व देते है। इसी को देखते हुये नाना पाटेकर ने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में महज 60 फिल्मों में काम किया है।
उनकी अभिनीत कुछ अन्य उल्लेखनीय फिल्में है आवाम, अंधा युद्ध, सलाम बांबे, थोड़ा सा रूमानी हो जाये, राजू बन गया जेंटलमैन, अंगार, हम दोनो, अग्नि साक्षी, गुलामे मुस्तफा, यशंवत, युगपुरूष क्रांतिवीर, वजूद, हूतूतू, गैंग, तरकीब, शक्ति, अब तक छप्पन, अपहरण, ब्लफ मास्टर, टैक्सी नंबर नौ दो ग्यारह, हैट्रिक, वेलकम, राजनीति, द अटैक ऑफ 26/11 आदि।
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