'सुपर 30' और 'वॉर' की सफलताओं ने तीन चार साल की मेहनत के सार्थक साबित किया है: ऋतिक रोशन
बॉलीवुड डेस्क. ऋतिक रोशन के लिए यह साल बहुत अच्छा गुजरा है। उनकी सो कॉल्ड ऑफबीट और हार्डकोर मसाला दोनों तरह की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल साबित हुई हैं। उन दोनों की खुशी उन्होंने खासतौर पर दैनिक भास्कर से साझा की है।
'सुपर30' और 'वॉर' दो अलग जोनर की फिल्में थीं। उनकी सफलता को कैसे बयान करना चाहेंगे?
कैसे बयां करना चाहूंगा, बहुत ही अच्छा साल रहा। दोनों की सफलता ने मुझे अपार खुशी दी है। सरल शब्दों में कहूं तो इन दोनों फिल्मों ने पिछले तीन चार साल की मेहनत को वर्थ साबित किया है। हालांकि यह बात भी है कि सक्सेस आपको उतना कुछ सिखाता नहीं है। एक किस्म का रिलीफ मिलता है बस, लेकिन सच कहूं तो सफलता ने मुझे कभी कुछ सिखाया नहीं है।
मुझे याद है 'मोहनजोदाड़ो' के बाद मेरे मन मस्तिष्क में एक किस्म की सरटेनिटी यानी निश्चितता थी। मुझे मालूम हो गया था कि मुझे अब से क्या करना है, असफलता आपको सिखा देती है कि क्या करना है। वह चीजें मैंने 'सुपर30' और 'वॉर' के साथ की और नतीजा सबके सामने है। यहां तक कि काबिल मैं भी मैंने असफलता से सीख कुछ चीजें की और उसका भी परिणाम सबके सामने है। मेरा मानना है कि जब चीजें सही नहीं होतीं तो ही इंसान बहुत कुछ सीखता है।
तो फिर मोहनजोदड़ो के बाद आशुतोष गोवारिकर से और 'वॉर' फिल्म के बाद आदित्य चोपड़ा से आपके क्या डिस्कशन हुए?
वैसी डिस्कशंस तो कुछ खास नहीं हुई। हां हम लोगों ने आपस में सेलिब्रिटी टॉक जरूर किए। क्योंकि पिक्चर बनते वक्त ही आप को एहसास तो हो ही जाता है कि फिल्म किस दिशा में जा रही है। मुझे खासकर पता चल जाता है। यह भी कि जब सही तरीके से चीजें नहीं हो रही हैं तो मैं अपना चैलेंज डबल कर देता हूं। वैसी सूरत में अगर मुझे हंड्रेड परसेन्ट देना हो किसी प्रोजेक्टे के लिए तो उसमें मैं टू हंड्रेड पर्सेंट देने लग जाता हूं। सिर्फ भगवान को दिखाने के लिए कि मैं एक्स्ट्रा एफर्ट डाल रहा हूं तो उनसे भी मेरी गुजारिश रहती है कि उनको ड्यू देना है। बहरहाल डिस्कशन वैसी कुछ हुई नहीं। मुझे ख्याल से आगे अगर कुछ ऐसा होता है तो शायद वौर टू के ऊपर बातें होंगी जरूर, क्योंकि वह कैरेक्टर बहुत पेचीदा और एजी है। बहुत मिसटिरियस और दिलचस्प कैरेक्टर भी है कबीर। उस कैरेक्टर पर बहुत कुछ किया जा सकता है। जो दिखाए गए इस समय वह तो 'टिप ऑफ द आईस बर्ग" है।
यानी तकनीकी तौर पर हम लोग कह सकते हैं कि कबीर का स्पिन ऑफ मुमकिन है?
स्पिन ऑफ तो तब होता है जब आप एक फिल्म का इनग्रीडिएन्ट ले करके अपना ही एक प्लेटफार्म दे देते हैं। यहां ऐसा नहीं है। यहां मेरे ख्याल से धूम जैसा मामला होगा। यहां हर अगले पार्ट में या तो विलन चेंज होता रहेगा या फिर जो दूसरा एक्टर है वह बदलता रहेगा। यह मेरा मानना है। ऐसा होगा कि नहीं वो देखने वाली बात होगी। अभी तो यह में ऐसे ही बोल रहा हूं।
'वॉर' ने स्टाइलाइज एक्शन और बजट का बेंच मार्क स्थापित कर दिया है। आगे फिर इस फ्रेंचाइज में कैसे नयापन आएगा?
इसी बेंच मार्क चलते आप और स्केल बेहतर करते चले जाएंगे। अब बेंच मार्क और हाईयर ही करना होगा। ऐसे ही प्रोग्रेस होता है आहिस्ता- आहिस्ता। और आईडियाज आते रहते हैं कि बेहतर से बेहतर करना है। हम लोगों को वॉर फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स पर बहुत नाज है। हालांकि यह भी है कि अभी हमें बहुत लंबा रास्ता तय करना है इस फ्रंट पर। अभी हम लोग मंजिल के पास आधे भी नहीं पहुंचे हैं।
सौरभ गांगुली ने भी कह दिया है कि उनकी बायोपिक भी आप ही करेंगे। क्या कहना है आप का?
बहुत अच्छा लगा मुझे यह सुनकर। मुझे बहुत बड़ा कॉन्प्लीमेंट दिया उन्होंने यह कहकर। ऐसे कॉन्प्लीमेंट उन लोगों से सुनकर, जिनको मैं खुद काफी ऐडमायर करता रहा हूं, बहुत अच्छा लगता है। मेरा हौसला और बढ़ जाता है।
-भविष्य में कभी उनकी बायोपिक की स्क्रिप्ट आपको ऑफर होती है तो आप करेंगे?
अब यह तो स्क्रिप्ट पर डिपेंड करेगा कि वह कैसी है।
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